Click on this link to view the video
http://video.google.com/videoplay?docid=2472873294547417399
The Audition Day : Making
Tuesday, February 26, 2008
Friday, February 1, 2008
क्यों नींद नही आती है रात भर
ऐसे लोगों को वाक़ई ख़ुशनसीब कहा जा सकता है जो रात भर पूरी नींद लेने के बाद सुबह सीधे अलार्म घड़ी की टिक-टिक होने पर ही जागते हों लेकिन अलार्म घड़ी की यही टिक-टिक तब दुश्मन की तरह लगती है, जब आपकी रात करवटें बदलते बीती हो या फिर कई कारणों से नींद ही न पूरी हो पाई हो.और जब नींद पूरी नहीं होती तो ज़ाहिर है, दिन ऊँघते हुए या थकान भरी उकताहट के साथ बीतता है.कई लोगों के साथ सोते वक़्त बार-बार नींद टूटने का अहम कारण 'ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्नोया' (ओएसए) होता है.इसे नींद में ख़लल डालने वाली बीमारी कहा जा सकता है.कारणइस बीमारी में गले के भीतर सांस लेने का स्थान लगातार संकरा होता जाता है और सोते वक़्त ये लगभग बंद होने लगता है.इससे सांस की हवा फेफड़ों तक नहीं पहुँच पाती और मष्तिष्क में ऑक्सीजन की लगातार कम होती मात्रा से व्यक्ति की नींद अचानक खुल जाती है.माना जाता है कि खर्राटे लेने वाले लोग ही अधिकतर इस बीमारी के शिकार होते हैं और वे रात में बमुश्किल तीन घंटे की नींद ले पाते हैं.नींद नहीं आने से परेशान लोगों की तादात में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.स्कॉटलैंड के शहर एडिनबरा स्थित एक अस्पताल में निद्रा औषधि विभाग के डॉक्टर टॉम मैके के मुताबिक़ इस समस्या के बारे में अभी कई चीज़ों का पता नहीं चल पाया है.उन्होंने बताया कि स्कॉटलैंड में इससे प्रभावित ऐसे लगभग 40 हज़ार लोग हैं जो खुद नहीं जानते कि वे ओएसए यानी नींद में ख़लल डालने वाली बीमारी के शिकार हैं.मैके के अनुसार, इसका ठीक ठीक पता इसलिए नहीं चल पाता क्योंकि लोग खर्राटे लेने, सांस लेने में बाधा और दिन में ऊँघते रहने जैसी समस्याओं के कारणों के बारे में ठीक-ठीक नहीं जानते.लेकिन ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा के एक बोर्ड ने इस बीमारी से परेशान लोगों के लिए कुछ कारगर इलाज का दावा किया है.इलाजइस बीमारी से प्रभावित लोगों का घर से अलग आरामदायक होटल में इलाज किया जाता है.चिकत्सकों अनुसार, इलाज के लिए मरीज़ को होटल के बेडरूम में रखा जाता है जहाँ उसके सारे परीक्षण सहूलियत से किए जा सकते हैं.मरीज़ों से बातचीत करने के बाद उन्हें इलाज के लिए विशेष किट दी जाती है और इसे इस्तेमाल करने का तरीक़ा बताया जाता है.रात में सोते वक़्त इस किट को लगाने के बाद सुबह नतीजों का परीक्षण किया जाता है. यदि ओएसए की समस्या हुई तो मरीज़ो को सीधे सांस संबंधी समस्या के लिए दवा दे दी जाती है.उन्होंनें बताया कि सोते समय एक किट का एक छोटा सा मास्क पहनना होता है जिससे पहले एक या दूसरे दिन ही 80-90 फ़ीसदी लोगों को अच्छी नींद आना शुरू हो जाती है.
ये कैसी सजा
कानुन हमेशा दावा करता है कि क़ानुन के नज़र में सज़ा के नियम सभी के लिए बराबर होते है। वहां अमीरी ग़रीबी नहीं देखी जाती,कोई सख़्शियत हो या आम आदमी यह नही देखा जाता। कुछ अरसा पहले क़ानुन के इसी पैमाने पर सलमान खान और संजय दत्त को उनके अपराधों की सजा सुनाइ गइ। ईन्हें चार और छ. साल की सज़ा सुनाई गई ।पर देखा जा रहा है कि किसी तरह इन शख्शीयतों ने अपनी जमानत का जुगाड कर ही लिया। सवाल है कि अगर किसी आम आदमी से ग़लती से अपराध हो जाता तो क्या वह जेल की सलाखों के बाहर रह सकता था। सलमान ,संजय के मामले से तो लगता है कि हर स्तर पर पैसा और रसूखदारों की ही चलती है।अगर यह बात ग़लत है तो संजय दत्त और सलमान खान को इस वक्त जेल में होना चाहिए था।
इंपोर्ट का एक्सपोर्ट
पाकिस्तान मे बहुत समय से एक चीज़ बडे एअतियात से बनई जा रही है बनाने वाले उसे जिहाद कहते है बाकी दुनिया आतंकवाद पाकिस्तान मे यह माल खास एक्सपोर्ट के लिए तैयार किया जा रहा है कुछ समय पहले हालात बदले तो उन्हें लगा कि इस माल कि जरुरत तो अपने मुल्क मे भी है ऐसे मे वे माल जो वी सिर्फ एक्सपोर्ट के इरादे से बना रहे थे उसे अपने मुल्क मी भी खपाने लगेइसे कहते है एक्सपोर्ट का इंपोर्टजेहादियों कि एक बात तो माननी पडेगी वे जो कुछ करते है बड़ी लगन से करते है अपने माल कि क्वालिटीमे वे कोई समझौता नही करते हमेशाबढ़िया से बढ़िया माल सप्लाई करते है आतंकवाद बहुत ही उन्नत बाज़ार है साधारण बाज़ार सेल के मौसम मे ज्यादा से ज्यादा एके के उप्पर एक माल मुफ्त देता है परन्तु आतंकवाद ऐसे छोटी मोटी सेल नही लगाता किसे एक को मारने जाता है तो साथ मे दस बीस मुफ्त मी मार आता हैकोई दूसरा दुकानदार दस बीस मुफ्त मी नही देता परन्तु आतंकवाद के दुकानदार देते है आजकल गलोब्लिजेशन का ज़माना है बाकी दुनिया व्यापार का ग्लोब्लिज़शन कर रही है कठमुल्ले जेहाद का कर रहे है वह न सिर्फ आतंकवाद बनने मी एक्सपर्ट है बल्कि उसका एक्सपोर्ट करने मे भी एक्सपर्ट है जी हाँ वे जब चाहे आपके यहाँ होम डिलिवरी कर सकते है आतंकवाद ऐसा मुफ्त का माल है जिसिकी डिलिवरी आपको न चाहते हुए भी लेने पड़ते हैलोग ज़हिडियो को पिछ्रा समझते है यह बहुत गलत बात है ज़हादी सोच मे जितना पीछे हू आतंकवाद मे बिल्कुल भी पीछे नही है वे आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का इस्तमाल करते है वे आधुनिक विचारो कि जानकारी भले न रख्तो हू लेकिन आधुनिक हथिरो कि जानकारी ज़रूर रखते है दूसरो के विचार आपनाने मे उनकी सोच आरे आती है दूसरो के हथियार आपनाने मी वही विचार आरे नही आती इस सोच को क्या नाम देना चहियेअमेरिका और eeurope के लोगो को एक चिंता बारे ज़ोर से सता रही है कल को पाकिस्तान के परमाणु बम ज़हिदेओ के हाथ लग गए तो?लग तो सकते है पेर उससे डरने कि कोई ज़रूरत नही है आतंकवादी अपने बम का इस्तेमाल अपने घर मी भी कर सकते है आप कहेंगे यह तो निहायत ही बेहुकुफी वाला इएडिया है जी हाँ,है,लेकिन क्या आप आतंकवादियो से आक्ला के इस्तमाल कि उम्मीद कर सकते है
अंतिम समय में बापू ने क्या कहा था ?
क्या राष्ट्रपिता गांधी ने प्राण त्यागते हुए,"हे राम" वाकई में कहा था? बापू पर लिखी एक नई किताब महात्मा गांधी-ब्रहमचर्य के प्रयोग के मुताबिक में दावा किया गया है कि अंतिम वक्त में उन्होंने ये शब्द नहीं कहे थे।
पत्रकार दयासागर शुक्ल 'सागर'ने यह किताब लिखी हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर माना जाता है कि 60साल पहले,30जनवरी 1948 को नाथुराम गोडसे की गोली लगने से महात्मा गांधी गिर पडे थे। तब सिर्फ उनकी पोती मनु ने उन्हें हे राम बोलते हुए सुना था। शुक्ल ने इस मान्यता पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा किया है कि अंतिम सांसें लेते हुए गांधी जी ने 'आह' कहा था न कि हे राम ?
पत्रकार दयासागर शुक्ल 'सागर'ने यह किताब लिखी हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर माना जाता है कि 60साल पहले,30जनवरी 1948 को नाथुराम गोडसे की गोली लगने से महात्मा गांधी गिर पडे थे। तब सिर्फ उनकी पोती मनु ने उन्हें हे राम बोलते हुए सुना था। शुक्ल ने इस मान्यता पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा किया है कि अंतिम सांसें लेते हुए गांधी जी ने 'आह' कहा था न कि हे राम ?
Subscribe to:
Posts (Atom)