Monday, December 3, 2007

मलेशिया में बेगाने हुये भारतीय

सिविल सेवा में भरती मामले को लेकर मलेशिया मे जो विवाद उठा उसने एक बार फिर अंग्रजी राज्य की यादे ताजा कर दीं ।
जब सिविल सेवा को लेकर जातीय और नस्लीय भेद किये जाते थे । प्रघानमंत्री अब्दुल्लाबहावी ने जो सफाई दी है वह इतने देर से आयी कि तब तक पानी सर के उपर निकल चुका था ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में नस्ल और जाति की बात करना कितना सस्ता लगता है । भारत हमेशा से ही मलेशिया का पक्ष लेता रहा है ,ऐसे मे मलेशिया सरकार के इस कदम पर आप क्या सोंचते है ?

2 comments:

Anonymous said...

भावनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो निश्चित रूप से यह मामला निन्दनीय है। लेकिन वैश्वीकरण के इस दौर में भारत मलेशिया को नाराज़ करने का रिस्क नहीं ले सकता। वो भी तब जब भारत आसियान के साथ फ्री ट्रेड की कोशिश कर रहा है और मलेशिया इसका एक अहम हिस्सा है। इसलिए भावना और व्यापार में संतुलन ज़रूरी है।

Anonymous said...

Darjeeling got its name from the word Dorje, which means the place of Dorje.The people of the region belive that the king of the gods, Indra had thrown down a thunder called Dorje at the place where Darjeeling stands today.