Monday, November 26, 2007

मीडिया पर अंकुश क्यों ?

इन दिनों हर एक पूरी दुनिया में देश को असहयोग आंदोलन का रास्ता दिखाने वाले महात्मा गांधी की पूछ बढ़ रही हैं,वहीं भारत की अदालतें हर तरह की हड़ताल और बंद जैसे लोकतांत्रिक उपायों को अवैध करार दे रही हैं।
तभी तो मिड-डे अखबार द्वारा सुप्रीम कोर्ट पूर्व न्यायधीश सभरवाल के पुत्र के गलत कामों को प्रमाण सहित उजागर करने पर दिल्ली हाइकोर्ट ने उसे अदालत की अवमानना मान कर पत्रकारों को सजा सुना दी। इस मुद्दे पर पत्रकार जगत की चुप्पी शर्मनाक हैं। मैं मानता हुं कि मिड-डे के सपांदक एवम पत्रकारों ने कोई गलती नही की हैं। पर उनकी बिरादरी वाले उनका साथ नहीं दे रहे हैं ! मगर मेरी समझ से जनता न्याय व्यवस्था के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार के उजागर होने से खुश हैं। अवमानना की आड़ में मीडिया पर अंकुश लगाने की हर कोशिश का विरोध होना चाहिए.मिडिया इस मुद्दे पर आगे बढ़े,तो न्याय के अभाव में त्रस्त जनता अवश्य साथ देगी.

1 comment:

Anonymous said...

These practices are of great concern. Judges in india are paramount.In terms of contempt of court this privilige comes in to action.An individual judge is cosidered as judiciary as a whole.So his contempt means contempt of the whole system.This is rediculus. But at the same time media can not act as an uncurbed horse.There should be a check by the establishment,self imposed restriction are not going to work....