Monday, October 13, 2008

Sunday, June 15, 2008

भारतीय महिलाएं भी क्रिकेट मे आगे .........

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने कोलम्बो में गत 11 मई को श्रीलंका को फाइनल मे 177 रन से हराकर महिलाओं का एशिया कप क्रिकेट टूर्नामेन्ट लगातार चौथी बार जीतने मे कामयाब रहीं फाइनल मे 97 रन की पारी खेलने वाली भारत की आशा रावत को मैन आफ द मैच घोषित किया गया ।2004 से शुरु हुए इस टूर्नामेन्ट का खिताब लागातार चारो बार भारत ने ही जीता है। ये चारो फाइनल मुकाबला श्रीलंका के साथ ही हुएं हैं तथा चारो बार भारत ने श्रीलंका को हराकर यह खिताब अपने नाम कर लिया.......


sunil kumar......

Tuesday, February 26, 2008

Friday, February 1, 2008

क्यों नींद नही आती है रात भर

ऐसे लोगों को वाक़ई ख़ुशनसीब कहा जा सकता है जो रात भर पूरी नींद लेने के बाद सुबह सीधे अलार्म घड़ी की टिक-टिक होने पर ही जागते हों लेकिन अलार्म घड़ी की यही टिक-टिक तब दुश्मन की तरह लगती है, जब आपकी रात करवटें बदलते बीती हो या फिर कई कारणों से नींद ही न पूरी हो पाई हो.और जब नींद पूरी नहीं होती तो ज़ाहिर है, दिन ऊँघते हुए या थकान भरी उकताहट के साथ बीतता है.कई लोगों के साथ सोते वक़्त बार-बार नींद टूटने का अहम कारण 'ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्नोया' (ओएसए) होता है.इसे नींद में ख़लल डालने वाली बीमारी कहा जा सकता है.कारणइस बीमारी में गले के भीतर सांस लेने का स्थान लगातार संकरा होता जाता है और सोते वक़्त ये लगभग बंद होने लगता है.इससे सांस की हवा फेफड़ों तक नहीं पहुँच पाती और मष्तिष्क में ऑक्सीजन की लगातार कम होती मात्रा से व्यक्ति की नींद अचानक खुल जाती है.माना जाता है कि खर्राटे लेने वाले लोग ही अधिकतर इस बीमारी के शिकार होते हैं और वे रात में बमुश्किल तीन घंटे की नींद ले पाते हैं.नींद नहीं आने से परेशान लोगों की तादात में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.स्कॉटलैंड के शहर एडिनबरा स्थित एक अस्पताल में निद्रा औषधि विभाग के डॉक्टर टॉम मैके के मुताबिक़ इस समस्या के बारे में अभी कई चीज़ों का पता नहीं चल पाया है.उन्होंने बताया कि स्कॉटलैंड में इससे प्रभावित ऐसे लगभग 40 हज़ार लोग हैं जो खुद नहीं जानते कि वे ओएसए यानी नींद में ख़लल डालने वाली बीमारी के शिकार हैं.मैके के अनुसार, इसका ठीक ठीक पता इसलिए नहीं चल पाता क्योंकि लोग खर्राटे लेने, सांस लेने में बाधा और दिन में ऊँघते रहने जैसी समस्याओं के कारणों के बारे में ठीक-ठीक नहीं जानते.लेकिन ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा के एक बोर्ड ने इस बीमारी से परेशान लोगों के लिए कुछ कारगर इलाज का दावा किया है.इलाजइस बीमारी से प्रभावित लोगों का घर से अलग आरामदायक होटल में इलाज किया जाता है.चिकत्सकों अनुसार, इलाज के लिए मरीज़ को होटल के बेडरूम में रखा जाता है जहाँ उसके सारे परीक्षण सहूलियत से किए जा सकते हैं.मरीज़ों से बातचीत करने के बाद उन्हें इलाज के लिए विशेष किट दी जाती है और इसे इस्तेमाल करने का तरीक़ा बताया जाता है.रात में सोते वक़्त इस किट को लगाने के बाद सुबह नतीजों का परीक्षण किया जाता है. यदि ओएसए की समस्या हुई तो मरीज़ो को सीधे सांस संबंधी समस्या के लिए दवा दे दी जाती है.उन्होंनें बताया कि सोते समय एक किट का एक छोटा सा मास्क पहनना होता है जिससे पहले एक या दूसरे दिन ही 80-90 फ़ीसदी लोगों को अच्छी नींद आना शुरू हो जाती है.

ये कैसी सजा

कानुन हमेशा दावा करता है कि क़ानुन के नज़र में सज़ा के नियम सभी के लिए बराबर होते है। वहां अमीरी ग़रीबी नहीं देखी जाती,कोई सख़्शियत हो या आम आदमी यह नही देखा जाता। कुछ अरसा पहले क़ानुन के इसी पैमाने पर सलमान खान और संजय दत्त को उनके अपराधों की सजा सुनाइ गइ। ईन्हें चार और छ. साल की सज़ा सुनाई गई ।पर देखा जा रहा है कि किसी तरह इन शख्शीयतों ने अपनी जमानत का जुगाड कर ही लिया। सवाल है कि अगर किसी आम आदमी से ग़लती से अपराध हो जाता तो क्या वह जेल की सलाखों के बाहर रह सकता था। सलमान ,संजय के मामले से तो लगता है कि हर स्तर पर पैसा और रसूखदारों की ही चलती है।अगर यह बात ग़लत है तो संजय दत्त और सलमान खान को इस वक्त जेल में होना चाहिए था।

इंपोर्ट का एक्सपोर्ट

पाकिस्तान मे बहुत समय से एक चीज़ बडे एअतियात से बनई जा रही है बनाने वाले उसे जिहाद कहते है बाकी दुनिया आतंकवाद पाकिस्तान मे यह माल खास एक्सपोर्ट के लिए तैयार किया जा रहा है कुछ समय पहले हालात बदले तो उन्हें लगा कि इस माल कि जरुरत तो अपने मुल्क मे भी है ऐसे मे वे माल जो वी सिर्फ एक्सपोर्ट के इरादे से बना रहे थे उसे अपने मुल्क मी भी खपाने लगेइसे कहते है एक्सपोर्ट का इंपोर्टजेहादियों कि एक बात तो माननी पडेगी वे जो कुछ करते है बड़ी लगन से करते है अपने माल कि क्वालिटीमे वे कोई समझौता नही करते हमेशाबढ़िया से बढ़िया माल सप्लाई करते है आतंकवाद बहुत ही उन्नत बाज़ार है साधारण बाज़ार सेल के मौसम मे ज्यादा से ज्यादा एके के उप्पर एक माल मुफ्त देता है परन्तु आतंकवाद ऐसे छोटी मोटी सेल नही लगाता किसे एक को मारने जाता है तो साथ मे दस बीस मुफ्त मी मार आता हैकोई दूसरा दुकानदार दस बीस मुफ्त मी नही देता परन्तु आतंकवाद के दुकानदार देते है आजकल गलोब्लिजेशन का ज़माना है बाकी दुनिया व्यापार का ग्लोब्लिज़शन कर रही है कठमुल्ले जेहाद का कर रहे है वह न सिर्फ आतंकवाद बनने मी एक्सपर्ट है बल्कि उसका एक्सपोर्ट करने मे भी एक्सपर्ट है जी हाँ वे जब चाहे आपके यहाँ होम डिलिवरी कर सकते है आतंकवाद ऐसा मुफ्त का माल है जिसिकी डिलिवरी आपको न चाहते हुए भी लेने पड़ते हैलोग ज़हिडियो को पिछ्रा समझते है यह बहुत गलत बात है ज़हादी सोच मे जितना पीछे हू आतंकवाद मे बिल्कुल भी पीछे नही है वे आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का इस्तमाल करते है वे आधुनिक विचारो कि जानकारी भले न रख्तो हू लेकिन आधुनिक हथिरो कि जानकारी ज़रूर रखते है दूसरो के विचार आपनाने मे उनकी सोच आरे आती है दूसरो के हथियार आपनाने मी वही विचार आरे नही आती इस सोच को क्या नाम देना चहियेअमेरिका और eeurope के लोगो को एक चिंता बारे ज़ोर से सता रही है कल को पाकिस्तान के परमाणु बम ज़हिदेओ के हाथ लग गए तो?लग तो सकते है पेर उससे डरने कि कोई ज़रूरत नही है आतंकवादी अपने बम का इस्तेमाल अपने घर मी भी कर सकते है आप कहेंगे यह तो निहायत ही बेहुकुफी वाला इएडिया है जी हाँ,है,लेकिन क्या आप आतंकवादियो से आक्ला के इस्तमाल कि उम्मीद कर सकते है

अंतिम समय में बापू ने क्या कहा था ?

क्या राष्ट्रपिता गांधी ने प्राण त्यागते हुए,"हे राम" वाकई में कहा था? बापू पर लिखी एक नई किताब महात्मा गांधी-ब्रहमचर्य के प्रयोग के मुताबिक में दावा किया गया है कि अंतिम वक्त में उन्होंने ये शब्द नहीं कहे थे।
पत्रकार दयासागर शुक्ल 'सागर'ने यह किताब लिखी हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर माना जाता है कि 60साल पहले,30जनवरी 1948 को नाथुराम गोडसे की गोली लगने से महात्मा गांधी गिर पडे थे। तब सिर्फ उनकी पोती मनु ने उन्हें हे राम बोलते हुए सुना था। शुक्ल ने इस मान्यता पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा किया है कि अंतिम सांसें लेते हुए गांधी जी ने 'आह' कहा था न कि हे राम ?

Thursday, January 24, 2008

राजपथ से नहीं गुजरी थी पहली परेड

भारतीय गणतंत्र की 58 वीं वर्षगाँठ पर रक्षा मंत्रालय ने अपने पुराने दस्तावेज जारी कर इस धारणा को गलत साबित किया है कि 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र की पहली मुख्य परेड राजपथ से होकर गुजरी होगी।गत अगस्त में मंत्रालय ने अपने ऐतिहासिक दस्तावेज से इस बात का भी खुलासा किया था कि आजादी के बाद पहली बार लाल किले पर तिरंगा 15 अगस्त को नहीं बल्कि 16 अगस्त 1947 को फहराया गया था। रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित किए जाने वाले 4 फरवरी 1950 के फौजी अखबार में उस ऐतिहासिक दिन का ब्यौरा दिया गया है जब भारतवासी देश को गणतंत्र घोषित किए जाने से गर्वातिरेक में डूबे हुए थे।भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने इर्विन स्टेडियम में सशस्त्र बलों की भव्य परेड की सलामी ली थी और 31 तोपों ने गरज गरज कर दुनिया को संदेश सुनाया था कि अब भारत की सरकार भारत के लोग बनाएँगे और वह भारतवासियों की अपनी और उनके लिए बनने वाली सरकार होगी।फौजी अखबार इतिहास दर्ज करते हुए लिखता है कि 1950 में जनवरी के 26वें दिन बृहस्पतिवार को सुबह दस बजने के अठारह मिनट बाद भारत को संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया। उसके इसके छह मिनट बाद बाबू राजेंद्र प्रसाद को गणतांत्रिक भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई।उस समय गवर्मेंट हाउस कहलाने वाले मौजूदा राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में राजेंद्र बाबू के शपथ लेने के बाद दस बजकर 30 मिनट पर तोपों की सलामी दी गई। उनका कारवाँ दोपहर बाद ढाई बजे गवर्मेंट हाउस से इर्विन स्टेडियम के लिए रवाना हुआ। राजेंद्र बाबू पैंतीस साल पुरानी लेकिन विशेष रूप से सुसज्जित बग्गी में सवार हुए जिसमें छह बलिष्ठ ऑस्ट्रेलियाई घोड़े जुते हुए थे।इस कारवाँ को देखने के लिए सड़कों पर अपार जन समूह उमड़ पड़ा था और लोक मकानों की छतों, पेड़ों शाखाओं और हर सम्भव ऊँचाई वाले स्थानों पर आ जमे थे। इर्विन स्टेडियम में हुई मुख्य परेड को देखने के लिए 15 हजार लोग मौजूद थे। फौजी अखबार के अनुसार इस परेड में नौसेना, इन्फेंट्री, कैवेलेरी रेजीमेंट, सर्विसेज रेजीमेंट के अलावा सेना के सात बैंड भी शामिल हुए थे।गणतंत्र की पहली परेड की शोभा बढ़ाने के लिए इंडोनेशिया के प्रसिद्ध नेता सुकर्णो आए थे। उस समय इंडोनेशिया का नाम युनाइटेड स्टेट्स ऑफ इंडोनेशिया हुआ करता था।

मोदी की मुंबई रैली से हिल गए हैं ठाकरे

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिन पहले मुंबई में हुई रैली से शिवसेना को तगड़ा झटका लगा है। उसे लगने लगा है कि महाराष्ट्र में भाजपा अब अधिक दिनों तक उसे बड़े भाई की भूमिका में नहीं रहने देगी। पार्टी सुप्रीमो बाल ठाकरे ने तो बुधवार को कह भी दिया कि महाराष्ट्र में मोदी और मायावती पैटर्न की राजनीति नहीं चल पाएगी।
महाराष्ट्र में करीब 20 साल से चले आ रहे शिवसेना-भाजपा गठबंधन में शिवसेना अब तक बड़े भाई की भूमिका निभाती रही है। इसी रिश्ते के तहत राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से शिवसेना 171 एवं भाजपा 117 पर चुनाव लड़ते रहे हैं। भाजपा की जीत का प्रतिशत शिवसेना से बेहतर रहता है लेकिन सीटों की संख्या में शिवसेना बाजी मार लेती है। गठबंधन की शर्त है कि जिसकी सीटें ज्यादा होंगी मुख्यमंत्री उसी का बनेगा, इसलिए भाजपा मुख्यमंत्री पद की दावेदार भी नहीं बन सकती। भाजपा पिछले दो विधानसभा चुनावों से शिवसेना पर दबाव बना रही है कि दोनों दल बराबर सीटों पर चुनाव लड़ें। शिवसेना लोकसभा में कुछ सीटें भाजपा को अधिक देकर विधानसभा में उसे ठेंगा दिखाती आ रही है। भाजपा इसे इसलिए बर्दाश्त करती रही क्योंकि महाराष्ट्र में बाल ठाकरे जैसा करिश्माई नेता उसके पास नहीं था। मगर बीते रविवार को शिवसेना मुख्यालय के ठीक सामने उसी शिवाजी पार्क में नरेंद्र मोदी को सुनने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी जहां ठाकरे पिछले 40 साल से शिवसेना की रैलियां करते आ रहे हैं। इसी पार्क को नवंबर के अंतिम सप्ताह में मायावती ने भी भर दिया था। भाजपा ने अपनी रैली में शिवसेना को तो बुलाया भी नहीं। मोदी को तालियां भी ठाकरे की तुलना में कम नहीं मिलीं। मतलब यह कि भाजपा को मिशन-2009 के लिए नया तारणहार मिल चुका है। वह एक दिन में छह-सात रैलियां भी कर सकता है। दूसरी ओर शिवसेना प्रमुख की गिरती सेहत के कारण अब वे एक रैली में भी लंबे समय तक बैठ नहीं पाते। भाजपा नेता उन्हें आज भी महाराष्ट्र के शिवसेना-भाजपा गठबंधन का पितृ पुरुष मानते हैं। लेकिन सच्चाई यही है कि 2009 के लोकसभा-विधानसभा चुनावों में मोदी की जरूरत भाजपा के साथ-साथ शिवसेना को भी पड़ सकती है।

Monday, January 21, 2008

गरीबों तक विकास का 5 पैसा पंहुचता हैं।

हिन्दुस्तान में भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर हैं। यहां के राज नेता सिर्फ एक दूसरे की बुराई देखते हैं। अपने अंदर की कमी का आंकलन नहीं करते हैं। कबीर की एक पंकती हैं -

बुरा जो देखन मैं चला,बुरा ना मिला कोई।
जो दिल देखा आपना मुझ सा बुरा ना कोई।

हिन्दुस्तान के राज नेताओ को चाहिए कि अपना कर्म करें और भारत को विकसीत देश बनाने की सोचें । हर काम को assignment की तरह करना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि विकास के सौ पैसा में से पंद्रह पैसे गरीबों तक पंहुचता हैं। पर राहुल गांधी का मानना हैं कि अब गांव तक केवल पांच पैसा ही पंहुचता हैं। राहुल गांधी को यह हकीकत समझने में काफी देर हुई। देखना यह हैं कि युवा सांसद कितने सालों में विकास का काम करते हैं। गरीबों को कब तक पचास पैसा ही पंहुचाते हैं।

Sunday, January 20, 2008

बर्ड फ़्लू का कहर कोलकाता में


पश्चिम बंगाल सरकार को हर बार देर से आंखे खुलती हैं। चाहे भारतीय परमानु करार की बात हो या आर्थिक विकास की या बर्ड फ़्लू का मामला। मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टचार्य ने भी देर से ही माना है कि राज्य में बर्ड फ़्लू की स्थिति अत्यंत गंभीर हैं। राज्य सरकार के सुस्ती के कारण यहां कि स्थिति गंभीर बन गयी हैं। पिछले दिनों कोलकाता के दक्षिणी और पूरबी हिस्सों में कई मरी हुई पक्षियाँ पायी गयी हैं।
पश्चिम बंगाल के तीन जिलों में बर्ड फ़्लू के खतरनाक एच 5 एच 1 वायरस से स्थिति गंभीर हो गई हैं। विश्व स्वास्थय संगठन(डब्लूएचओ) ने कहा है कि इस बार बर्ड फ़्लू का
ख़तरा ज़्यादा गभीर हैं क्योंकि पिछले मामलों की तुलना में इसका विस्तार क्षेत्र अधिक हैं और ये क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक हैं।
बीरभूम,दिनाजपूर,सियालदह और कालीघाट जैसे जगहों पर सिर्फ दुकाने बंद कर देने से गंभीर समसया का हल नहीं हो सकता हैं। सरकार को बडे पैमाने पर बर्ड फ़्लू जैसी बीमारी से बचने के उपाये बताने होगें। राज्यों को सील कर सुरक्षा का इंतजाम करना होगा।
बर्ड फ़्लू से पर्यटन क्षेत्र, विमान सेवा उधोग व अन्य व्यवसायों पर भी इसका कुप्रभाव असर पड़ रहा हैं। सरकार को समय रहते पुख़्ता इंतजाम करना होगा। जिससे बर्ड फ़्लू पर काबु पाया जा सके।

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( Source : http://002nas.blogspot.com/ )

रोजगार गारंटी से भी नही रूक रहा पलायन

राज्य बढाना चाहते है रोजगार के दिन

रोजगार गारंटी योजना को लागु करने में तमाम दिक्कतो
के बीच एक हैरान करने वाला सच यह भी है कि यह योजना अपने मुख्य उद्देश्य ग्रामीण बेरोजगारो का पलायन रोक पाने मे भी कामयाब नही हो रही है। कई राज्यो ने इस सम्बंध मे ग्रामीण विकास मंत्रालय को सुचित कर के योजना के लिए निर्धारित समय सौ दिन की सीमा को बढाने की मांग की है। मंत्रालय के सुत्रो की माने तो राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ सहीत कई राज्यो मे पलायन की समस्या परकाबु नही पाये जाने की बात उभर कर सामने आयी है। हाल ही मे कई राज्यो ने मंत्रालय को योजना के अंतर्गत आ रही दिक्कतो से अवगत कराया है। राजस्थान ने तो केन्द्र सरकार को पत्र लिख कर आदीवासी इलाको मे रोजगार गारंटी दिवस सौ से बढाकर दो सौ दिन करने की मांग की है। लेकिन केन्द्र सरकार इस पर आगे बढने की स्थिती मे नजर नही आ रही है।
सरकार को सौ दिन रोजगार देने मे ही कई तरह के पापड बेलने पड रहे ऐसे मे दो सौ दिन रोजगार देने के स्थिती दूर दूर तक नही है।

ख़ुशी या गम

बढ़ती गाङि़याँ या बढ़ती समस्याएँ

दिल्ली के आँटो एक्सपो में गुरुवार को टाटा मोट्रस ने अपनी एक लाख रुपय की कार पेश कर दी हैं।ये कार भारत ही नहीं ब्लकि दुनिया की सबसे सस्ती कार हैं। कम्पनी द्वारा कार मध्यम वर्गीय व दुपहिया चालकों को ध्यान में रख कर बनाई गई हैं। जिससे आम आदमी भी कार खरीदकर अपना सपना आसानी से पूरा कर सके। टाटा मोट्रस द्वारा उठाया गया ये कदम सराहनीय हैं।

जहाँ एक तरफ़ खुशी हैं वहीं दूसरी तरफ़ चिन्ता का विषय भी हैं कि यदि हर व्यक्ति कार खरीद लेगा तो चलाएगा किधर !
भारत विशव का दूसरा सबसे बङ़ा दुपहिया वाहनों का बाज़ार हैं वहीं चौपहिया वाहनों में भारत का स्थान गयारवाह हैं। भारत के कई बङ़े शहरो में पहले से ही व्यस्तम सङ़को पर वाहनो की भरमार हैं उन वाहनो से निकलता धुआँ भी पर्यावरण को दूषित कर रहा हैं। एक सर्वेक्षण से दिल्ली में सबसे ज़्यादा कार हैं यानि प्रति एक हज़ार की जनसंख्या पर दिल्ली में 85 निजी कार हैं. उसके बाद लुधियाना और चेन्नई का स्थान आता है भारत में इस समय लगभग सात करोड़ दोपहिया वाहन और 1 करोड़ निजी कारें हैं और ये संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. सवाल ये उठता है कि क्या भारत की सड़कें इनका बोझ सहने को तैयार हैं.
आज भारत तेल का पचह्तर प्रतिश्त हिस्सा आयात कर रहा हैं यदि इसी तरह वाहनो की संख्या बढ़ती रही तो तेल की खरीददारी और दाम तो बढ़ेगे ही साथ ही पर्यावरण पर भी बुरा असर पङ़ेगा। ये सिर्फ़ छोटी गाड़ी का नहीं ब्लकि ये सब गाड़ियों का सवाल है.
भारत पिछले कुछ वर्षों से वाहन जगत में नौ प्रतिशत से अधिक दर से विकास कर रहा है.
विकास की इस दौड़ में शामिल होने का हक़ सभी को है लेकिन ये ज़िम्मेदारी भी सरकार और लोगों की है कि विकास की दौड़ में आंखे खुली रखी जाएं.।

ये सभी आँकङ़े बी.बी.सी हिन्दी की वेबसाइट से लिए गए हैं।

दिल्ली हुई जाम

दिल्ली हुई जाम
शुक्रवार को घंटो यातायात जाम में फँस रहे दिल्लीवासी।कल राजधानी के कई ईलाकों में यातायात जाम रहा। जाम लगने के एक नहीं तीन-तीन कारण थे। 1} साउथ दिल्ली के मूलचन्द पुल के पास दिल्ली जल बोर्ङ की पाईप लाईन टूट गई। 2} वी.आई.पी नेताओं का राजघाट दौरा। 3} प्रगति मैदान में लगे नौंवी वाहन प्रर्दशनी देखने उमङी र्दशको की भीङ।
नतीजा, रात तक लोग भारी यातायात जाम से जूझते रहे। खासतौर पर वे लोग जो प्रगति मैदान से होकर गुज़र रहे थे। रहागीर {एफ.एम.सी.सी के अध्यापक नवनीत आनंद का कहना था कि आमदिनों में मुझे लक्ष्मी नगर से कालका जी तक पँहुचने में पैंतालिस मिनट लगते थे पर आज मूलचन्द पुल पर जाम की व़जह से दो घंटे से भी ज़्यादा समय लग गया। इस तरह जाम में फँसे और भी लोगों का ये ही कहना था।
प्रर्दशनी देखने आए लोगों का निजी वाहनों का इस्तेमाल करना व पाक्रिंग की जगह सीमित होने के कारण गाङियाँ इधर-उधर खङी करने से भी जाम लग गया। वहीं दूसरी तरफ, ग्रीस के प्रधानमंत्री ने दस बजे राजघाट आना था। जिससे सुरक्षा के मददेनज़र उस तरफ के सभी रास्ते बंद कर दिए गए थे जबकि नेताजी भी अपने निशचित समय से आधे घंटे देर से पँहुचे। इस दौरान काम पर जाने वाले लोगों के वाहनों की कतार भी लम्बी होती चली गई। मुख्यत : आई.टी ओ पुल, निजामुदीन पुल, विकास मार्ग, आई.पी.मार्ग, रिंग-रोङ, तिलक मार्ग व मथुरा रोङ पर भी जाम रहा।
दिल्ली मैट्रो रेल काँरपोरेशन के मुताबिक मूलचल्ग में पाईप लाईन से कुछ ही दूर ज़मीन के अन्दर उनका काम चल रहा था। मशीन की तेज़ गङगङाहट से पानी की पाईप लाईन टूट गई। इसकी जानकारी दिल्ली जल बोर्ङ को दे दी गई थी। जब तक उल्होंने पानी की सप्लाई हंद की तब तक सङ़को पर दो-दो फुट तक पानी जमा हो चुका था। ङी.एम.आर.सी के प्रोजेक्ट मैनेजर अनुज दयाल ने कहा कि इस छोटी पाईप-लाईन से लाजपत नगर, व ङिफ़ेस कोलोनी को पानी की सप्लाई जाती थीऔर उन्होंने स्वंम खङे़ हो कर पाईप-लाईन की मरम्त करवा दी हैं।
इस जाम पर यातायात पुलिस का कहना था कि प्रर्दशनी के चलते पुलिस की पूरी व्यवस्था की गई थी पर हर जगह पुलिस व्यवस्था करना सम्भव नहीं हैं। मथुरा रोङ पर अवैध पार्किग का कारण भी जाम लग जाता हैं। हालाँकी कई बार क्रेन द्वारा गाङियाँ ज़ब्त व चालान भी काटे जा चुके हैं।
दिल्ली में जाम लगना कोई नई बात नहीं हैं जाम कभी रैलियों, नेताओं, प्रर्दशनों, सङ़क मरम्त आदि समस्याओं के कारण लगते रहते हैं। हम इसे रोक तो नहीं सकते पर जहाँ पब्लिक वाहनों की सुविधा हो वहाँ निजी वाहनों का प्रयोग न करके हम इस जाम की समस्या को कम तो कर ही सकते हैं।

Thursday, January 17, 2008

BHARAT RATNA – and my nominee are……

Morning of 17th January. Years ago this author came into existence on the same day. The day has repeated itself once again. My landlord’s dog (she) – Maggie, was first to wish me. Her sound made me wake up.

I turned on my television set. News flashed on the face (screen) of a news channel. It read, “The govt. is planning to scrap ‘BHARAT RATAN’ (highest civilian award in India)”. Maggie, once again opened its mouth, as if it was asking who my nominee for the prestigious award are.

The question took me into a serious thought. All political parties (even individuals) are proposing the names of their leader for this award. As the thinking process was on my eyes stuck to a news headline of English daily, which read ‘BIRD FLUE BREAK OUT IN BENGAL, CULLING OPERATION IS ON’.

The headline helped me to find my nominee for the honor. I decided to propose the CHICKENS (not headless) for the congregation. Maggie with a sigh of astonishment opened her eyes wide, as if my decision went out of her expectations.

I have some sound ground for this nomination. Look at the history of chicken as a species. It has been serving our society for a long as a source of proteins. The species has made its case strong by adding yet another social service. These are sacrificing there life so that H5N1 (virus which causes bird flu) remains out of human population.

Unfortunately they have been denied of their due. If the award is supposed to be given for the one who served the society with absolute sacrifice, then my case makes a point. Now it is up to you to decide. What do you think?
CLICK BHUPIESM for more...
( SOURCE : http://topnews-bignews.blogspot.com )

लख के संग हो लक अपना, पूरा तब नैनो का सपना

पहली झलक मे ही नैनो लाखो दिलो मे बस गयी है और बाजार मे आने से पहले ही हर कोई इसे खरीदने के सपने संजो रहा है।
किन बिक्री के लिए लांच होने के बाद भी यह किस्मत वालो को ही मिल पाएगी। शुरूवात मे गजब के प्रति्क्रिया के बावजूद टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा का कहना है कि कम्पनी अपने बजट और निर्माण क्षमता को देखते हुये, इसका उत्पादन करेगी। रतन टाटा ने कहा कि मेरी कम्पनी लाखो की तादाद मे नैनो का उत्पादन करेगी, बडी अटपटी बात है। हमारी निर्माण क्षमता सीमित है।
टाटा ग्रुप का इरादा साल भर मे 2.5 से 3.5 नैनो कारे बनाने का है लेकिन जानकारो के मुताबित डिमांड इससे कई गुना ज्यादा होगी। उन्होने कहा कि सभी तकनीकी पहलुऔ को देखते हुये कार का प्राडक्सन और मार्केट और रणनीती तयकी जायेगी। आने वाले समय मे टाटा ग्रुप आम आदमी पर फोकश रख कर ही नये उत्पाद बाजार मे उतारेगा।
लखटकिया कार के विरोध पर रतन टाटा ने कहा कि मै इस पर अपने मुह से कुछ नही कहना चाहता अगर कोई विरोध कर रहा है तो इसकी मर्जी। किसी भी उत्पाद का भविष्य बाजार तय करता है हमे अपने नये उत्पाद पर पुरा भरोसा है सभी तरह से नैनो कार आम आदमी की अपेक्षाओ पर खरी उतरेगी।
उन्होने कहा कि चार साल पहले जब मैने एक स्कूटर पर मिडील क्लास परिवार, पति पत्नी व दो बच्चो को जाते हुये देखा तो मन मे यह ख्याल आया क्यो न इस क्लास को सस्ती कार उपलब्ध करायी जाय। इसके बाद काम शुरू कर दिया गया। यह सपना नही वादा था जो निभाया।
सिंगुर मे कम्पनी के जमीन के अधिग्रहण को लेकर विरोध पर कहा कि पश्चिंम बंगाल ने लखटकीया कार के निर्माण के लिये कई जमीन के आफर दिये थे, सरकार के जरिये ही जमीन का अधिग्रहण किया गया है रही बात विरोध की तो लोग भुल रहे है कि यह औघोगीकरण का आगाज है टाटा ग्रुप पश्चिम बंगाल मे बडी मात्रा मे निवेश करने जा रही है।
लेखक. बिनोद

रिलायंस पावर ने मचाई हलचल

अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के सार्वजनिक निर्गम यानी आईपीओ ने शेयर बाज़ार में ज़बर्दस्त हलचल पैदा कर दी है.
भारत में अब तक के सबसे बड़े आईपीओ के साथ 11 हज़ार 500 करोड़ रुपए जुटाने के इरादे से रिलायंस पावर मंगलवार को पूंजी बाज़ार में उतरी है.
इस आईपीओ ने खुदरा निवेशकों के लिए उम्मीद की एक लहर पैदा कर दी है जो देश के विकास की गंगा में जल्द से जल्द हाथ धोना चाहते हैं.
इस आईपीओ ने निवेशकों में इतना उत्साह पैदा कर दिया जिसके दबाव में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सूचकांक मंगलवार को 477 अंक नीचे लुढ़क गया.
रिलायंस पावर के आईपीओ के खुलने के बाद कुछ कंपनियों और निवेशकों ने इसमें निवेश करने के लिए अपने जमा सौदों की बिक्री की.
इससे सेंसेक्स 477 अंकों की गिरावट के साथ 20,251 पर बंद हुआ.
एक तरफ तो ये नज़ारा था तो दूसरी ओर खुलने के पहले चार ही घंटे में आईपीओ लगभग 10 गुना बिक (ओवरसब्स्क्राइब) गया. जबकि यह आईपीओ 15 जनवरी से लेकर 18 जनवरी खुला रहेगा.
नई लहर
दरअसल भारत में आर्थिक समृद्धि ने एक नई लहर पैदा की है.
इस आईपीओ ने निवेशकों में नई लहर पैदा कर दी है
लोग निवेश के नए विकल्प तलाश कर रहे हैं. लोगों को कहीं भी ऐसी संभावना दिखाई पड़ती हैं, वहीं लोग टूट पड़ते हैं.
हाल में टाटा की नैनो कार ने लोगों में एक ललक पैदा की तो रिलायंस पावर के आईपीओ ने भी आम आदमी में कुछ वैसा ही उत्साह पैदा किया है.
यही वजह है कि सैकड़ों लोग इस आईपीओ में निवेश के लिए डीमैट खाता खोल रहे हैं. इस खाते के माध्यम से ही आप शेयर में निवेश कर सकते हैं.
इस आईपीओ ने आपके डीमैट खाते का भाव भी बढ़ा दिया है.
ख़बरें आ रही हैं कि अगर आपका डीमैट खाता है और उसमें से आप रिलायंस पावर के आईपीओ के लिए आवेदन नहीं कर रहे हैं, तो ऐसे कई लोग हैं जो आपके नाम पर अर्जी लगाने के लिए तैयार हैं.
यह धंधा ग़ैरकानूनी है और इसमें अलॉटी के मुकरने पर पैसा डूब भी सकता है लेकिन लोग ये ख़तरा मोल लेने को तैयार नज़र आ रहे हैं.
इस आईपीओ में निवेश के लिए लोगों की कतारें देखी जा रही हैं और ये हाल केवल बड़े शहरों के ही नहीं ये लहर मझौले शहर तक जा पहुँची है.
नए तरीके
इधर अनिल अंबानी की वित्तीय सेवा कंपनी रिलायंस मनी सभी तरीके आजमा रही है.
मध्यम वर्ग को इस आईपीओ की याद दिलाई जा रही है. इसके लिए रिलायंस मनी ने मुंबई की डिब्बावाला एसोसिएशन से क़रार किया है.
डिब्बेवाले लगभग डेढ़ लाख लोगों को फॉर्म दे रहे हैं, साथ ही वे भरे हुए फॉर्म वापस कंपनी के पास जमा भी कराएंगे.
इसके अलावा रिलायंस कम्युनिकेशन ने मोबाइल में रिलायंस पावर के प्रोमोशन को ‘रिंग टोन’ बना दिया है.
इसके पीछे कोशिश यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस इश्यू की जानकारी पहुँचाई जा सके.
अनिल अंबानी ने छोटे निवेशकों को लुभाने का इंतज़ाम भी किया है. उन्हें एक भाग भुगतान का विकल्प भी दिया गया है.
कहा जा रहा है कि इस इश्यू के बाद अनिल अंबानी अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी से आगे निकल जाएंगे.

Tata's new car "Nano"


The Tata's New Car is"Nano". Tata has launched new car"Nano"in 9th Auto Expo in New Delhi. Nano is the cheapest car in world.The cost of this car is one lakh. Tata has created history in Automobile industry. After this car every big car company is announcing that they will make chaepest car too in near the futuer.

Tata has claimed that Nano is condusive to climate and rate of this car is cheapest in the world. Mielage of this car is 20-25 in one liter.Weight of this car is less than other car. Length is 1.44 -meter and height is 1.40 meter of this car.This is the first car in the world In which engine is in back side of the car.

Tata has said that this could be done only India.Tata has created new history in automobile sector.After launching this lakhtaki car in market people are wishing that when dream will come true.Tata said that it might be come at the end of this Oct.

It is public car.Really it may be true.In my view "Nano" will make mile stone in automobile industry.Auto rickshaw will out after this. People are more eger to buy Nano.

Wednesday, January 16, 2008

भारत रत्न में भी राजनीति

‘भारत रत्न’ में भी राजनीति

पिछले दिनों भाजपा के शिखर नेता और विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की मांग की है। इसका अनुसरण करते हुए उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक स्व. कांशीराम को भी भारत रत्न देने की मांग करदी।
भला कम्यूनिस्ट पीछे क्यों रहते सो उन्होंने भी पश्चिम बंगाल में दो दशकों तक मुख्यमंत्री रहे ज्योति बसु के लिये इस अवार्ड की मांग कर दी। इसी क्रम में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. करूणानिधि और फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार भी जुड़ गये। आने वाले समय में न जाने और कितने नाम जुड़ने वाले हैं।
आज भारत का राजनीतिक परिदृश्य इतना बदल चुका है कि देश का सर्वोच्च सम्मान भी राजनीति के कालचक्र से नहीं बच पा रहा है। ये काफी गंभीर मामला है। देश की सेवा के लिये दिये जाने वाले सम्मानों और पुरस्कारों पर आज तक ऐसी परिस्थिति कभी नहीं बनी। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में नेताओं की राजनीति करने का स्तर कितना गिरता जा रहा है, इससे सहज ही आंका जा सकता है।
ये सम्मान किसे दिया जाय किसे नहीं,इसका फैसला भारत रत्न सम्मान समिति पर छोड़ देना चाहिए। वो इसका फैसला खुद करने में सक्षम हैं। आडवाणी ने अगर ये मांग की है तो विपक्ष के नेता होने के नाते यह कुछ हद तक जायज है। लेकिन राजनेताओं को इसमें अपनी-अपनी मांग रखने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए।
जब भी कोई ‘अवार्ड या सम्मान’ किसी विवाद से होकर गुजरता है तो कहीं न कहीं इस पर सम्मान पाने वाले को और देश की जनता पर एक तरह का असंतोष साफ झलकता है। इसका सीधा प्रभाव सम्मान की महत्ता पर पड़ता है। क्या नेता इस भावना को नहीं समझते या फिर समझना नहीं चाहते हैं। क्या अब वो भी समय आ गया कि हमें सब कुछ नेताओं की मर्जी के अनुसार ही फैसले लेने होंगे। अगर राजनेताओं का हस्तक्षेप बढ़ता चला जायेगा तो यह स्थिति देश और यहां की जनता के लिये दुर्भाग्यपूर्ण साबित होगा। अब देश की जनता ही आज के नेताओं को नैतिकता का पाठ पढ़ा सकती है ताकि समय-समय पर हर विषय को राजनीति में न घसीटा जा सके।

Tuesday, January 8, 2008

GAMES THAT KILL

GAMES THAT KILL


Surf the net, and you will see the virtual world is full of sites and communities that invite people to attempt games that challenge life. Games like Russian Roulette, Mumblety-Peg and the Chicken Game, all have members in large number. These games influence youngsters and in some cases even kill them. Gaurang Dalvi, a Mumbai student lost his life to a dare game.

Even outside this virtual world, there’s no dearth of ‘I dare you’ games. Two youngsters lost their lives while racing down the Greater Noida Expressway. Two boys shot their classmate in Gurgaon in Euro International School. Do these games influence these children to do so? Violent movies add to this, but do these games also influence young children? Is it so easy to take someone’s life? What do you think should parents stop their children to play or surf such sites that influence kids to take lives.
Death Games Kids Are Playing:
The choking game—this is a method of self asphyxiation whereby a person cuts off the supply of oxygen to their brain for a “rush” or “high”.
Mumblety peg--- two opponents stand opposite to each other and throw knifes to stick in the ground. The one who sticks closest to the others feet is eventually the winner.
Chicken Game---- two drivers’ drive towards each other, the one who swerves is called chicken. Many a times, the collision can lead to severe injuries or death.
Shallow Water Blackout--- going under water and holding your breath, while others count the time. The one who stays for maximum time under water is the winner.

मलेसिया में भारतीयों की भर्ती पेर भ्रम की स्थिति .

मलेसिया में इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है की भारतीय कामगारो को वीज़ा देने पेर रोक लगाई गयी हैं या नही. अगर ये प्रतिबंध लागू होता हैं तो इससे हज़ारो लोगो पेर असर पड़ेगा . जिनमे ऐसे भी लोग है जिनके पास प्रोफेशनल योग्यताए हैं.मलेसिया में लगभग ढाई लाख लोग ऐसे है जो भारत और बांग्लादेसी नागरिक है और क़ानूनी रूप से मलेसिया में काम करते है.

भारतीय लोगो की भरती पेर रोक लगाने को लेकर भरम की स्थिति ऐसे समय में बनी है , जब भारतीय रक्षा मंत्री .के. एटोनी मलेसिया का दौरा ख़तम करके लौटे हैं.
आप इस तरह की स्थिति के बारे में क्या सोचते हैं??
I AM GOING TO MAKE IT A BIG
उलझे बिखरे बाल, मैले कपडे, हाथो मे किताब थामे। एक लम्बी, आकर्षक और छरहरी सी लडकी, कभी पास के ठेलो व ढाबो पर खाना मांगती तो कभी आंटो या रिक्सा चालको से ड्रग्स के लिए पैसे। पेट भर जाता तो घंटो वह मंदिर के पिछवाडे सिर टिका कर बैटे-बैटे कुछ सोचती रहती। कभी खाने को मिल जाता, तो कभी भूखे पेट खूदरे फुटपाथ पर रात बितती। आस-पास के लोगो को फटेहाल घूमती यह लडकी असाधारण तो लगती थी, लेकिन कोई नही जानता था कि ड्रग्स और मांसिक तनाव के आगे घुटने टेक चुकी यह लडकी मशहूर मांडल गीतांजली नागपाल है। फैसन की लकदक दुनिया का एक बझता हुआ सितारा गीतांजली नागपाल। रैम्प पर मिस युनिवर्स सुष्मिता सेन से लेकर बडी-बडी माडल्स के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली गीतांजली की जिन्दगी पर बदनसीबी की ऐसी धुल चढी की उसकी असली पहचान ही गुम हो गयी। सालो से गुमनामी और बदनसीबी के थपेडो ने गीतांजली को बिल्कुल ही शांत कर दिया। क्या गीतांजली की झील सी आंखो मे आज भी सपनो की कश्तियां तैरती नजर आती है। वह हमेशा कहती थी “I AM GOING TO MAKE IT A BIG”
क्या उसकी ये आंखो वक्त के साथ धुंधला गये आइने मे अपना वह मांडल अक्स फिर से देख सकेगी। जिससे कभी लोगो की नजर हटा नही करती थी। क्या आप नही सोचते कि गीतांजली के बुरे दिनो मे उसके परिजन उसका खिद का परिवार या उसका कोई रिश्तोदार नही था या सिर्फ लोग उगते सुरज को ही प्रणाम करतेहै???????????????...................................//////////////////////////////

Monday, January 7, 2008

मंदिर मे भगदङ,पाँच मारे गये

आन्ध्र प्रदेश के विजयवाङा मे स्थित एक मंदिर में गुरुवार भगदङ मचने से पाँच लोगों की मौत हो गयी लगभग 15 लोग घायल भी हुए। मृतको मे चार महिलाएं हैं। यह घटना के श्री दुर्गा मालेश्वर स्वामी मंदिर मे घटी जहा लोग भारी संख्या मे इकट्ठा हुए थे। एक ही साथ सैकङों श्रद्धालुओं ने मंदिर के भीतर जाने की कोशिश की जीसके कारण यह हादसा हुआ। विजयवाङा के पुलिस आयुक्त सीवीआनंद से बात करने पर उन्होने कहा कि पुलिस ने प्रबंधन को पहले आगाह कर दिया था कि श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए उचित ब्यवस्था की जाय लेकिन इस पर ध्यान नही दिया गया। घटना होने के यह कारण है कि मंदिर मे प्रवेश करने और नीकलने का एक ही रास्ता है जीसके करण यह हादसा हुआ। घायल लोगों को स्थानीय अस्पताल मे भर्ती कराया गया है। घायलों में महिलाओं की संख्या अधिक है। पुलिस मामले की पङताल कर रही है। राज्य सरकार ने मृतकों कों एक-एक लाख और घायलों को दस-दस हजार रुपये की घोसणा की है। इससे पिछले साल अक्टूवर में गुजरात के पंचमहल ज़िले मे स्थित पावागढ महाकाली शक्तिपीठ मे भी भगदङ मची थी जीसमे 12 मारे गये थे। मंदिरों मे एसे ही हादसे होते रहे तो वो दिन दूर नही जब लोगअपने घरों मे पूजा करेगें। मंदिर जाने से हर कोई कतरायेगा ।

जेंटलमैन गेम का नया चेहरा

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर इंडिया और आस्ट्रेलिया के बीच खेले गये दूसरे टेस्ट मैच में कल इंडिया हार गई। अंपायरों के द्वारा दिया गया ग़लत निर्णय टीम इंडिया के लिए यमराज साबित हुआ। अंपायरों ने कुल दस ग़लत फ़ैसले इंडिया के खिलाफ दिये। हद तो तब हो गयी,जब सौरभ गांगुली का कैच ज़मीन को छूने के बाद पोंटिंग ने अपील की और अंपायर ने आउट होने का निर्णय दे दिया। क्या ये जेंटलमैन गेम का नया चेहरा है?
उधर हरभजन सिंह को साइमंड्स को बंदर कहने के आरोप मे आई सी सी ने बिना किसी पुख़्ता सबूत के अगले तीन टेस्ट मैचों मे खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। क्या यह उचित है? इन सभी बातों पर बी सी सी आई को सख़्त निर्णय लेनी चाहिए। यह एक प्रकार से भारत के सम्मान की बात है। सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड होने के नाते बी सी सी आई को देश की भावना को समझना चाहिए। अंपायरो के इस पक्षपातपूर्ण निर्णय पर आई सी सी भी चुप है। शायद आस्ट्रेलिया को इंडियन टीम से ख़ौफ़ है कि विश्व मे अगर कोई टीम है जो उसे कड़ी टक्कर दे सके तो वो इंडियन टीम है।

Saturday, January 5, 2008

Kya Icard kargar rasta ?

Rajdhani ki suraksha ko gambhir khatra batate huye deputy governer Tajendra khanna ne 15th January se dilliwalon ke liye apne pas koi pehchhan patra rakhna jaroori hoga.logon ko voter icard,draiving licence ,school ya college ka icard ya kuch na kuch rakhna jaroori hoga.
Sarkar ne ye sab kadam rajdhani ki suraksha ko dhyan me rakhte huye kar rahi hai ,kyoinki abhi akchar dham mandir ko aatakwadiyo ne udaane ki dhamki di hai,aur abhi 26th January bhi aane wali hai.inhi sab baton ko dekhte huye dilli sarkar ne ye intzzam kiya hai.lekin ek sawaal yah hai ki kya yah kaargar saabit hogi,kyonki isse pehle bhi dilli sarkar ne na jjane kitne niyamo ko banaya hai lekin kuch dino ke baad sab thande baste mein chali jaati hai.mujhey lagta hai ki ye dilli mein rehne wale doosre rajyo key logo ke liye sar dard hi hai ,aur police ki ugahi ka ek naya tarika….dekhte hai ,ye to waqt hi batayega ki ..is niyam ka kya hota hai ???

Wednesday, January 2, 2008

प्रेम का समाजशास्श्र

प्रेम का समाजशास्श्र

प्रेम पर पहरा न केवल युवा दिलो को झकझोरता दिखा अपितु नाजुक मुद्दे पर गर्म बहस को भी आमंत्रण देता दिखा। कहा जाता है कि प्यार और अपराध संगीन के साये में ही पलते है। इस अढाई अक्षर प्यार का बैरी समाज कमोवेश शुरू से ही रहा है। इस लिए प्रेम पर पहरा को नई बात नही है प्रेम की प्रकती और नियति भी यही है क्योकि हमारा भारतीय समाज एक बंद समाज रहा है जो आज भी संक्रमण काल से गुजर रहा है।
जरासल सवाल उठता है कि पूर्व के प्यार और आज के प्यार का चरित्र व कथा बदली है या वही है। जवाब क्या है कुछ कहते है कि पूर्व का प्यार बहुत हद तक इबादतपरस्त था तो वही कुछ कहते है आज के दौर मे आर्थिक उदारीकरण और संचार क्रांति के व्यापक प्रभाव ने प्रेम के स्वरूप को बदल दिया है और कहते है आज के प्रेम मे त्याग, बलिदान, नि:स्वार्थ भाव,समर्पण, अंर्तमन की कोमलता तथा मिलन या बिछडाव में यथावत तटस्थ श्रद्धा का घोर अभाव दिखता है। आज बजारवाद इस कदर हावी है कि लडको को छोड दीजिए वे तो पुर्व से ही बदनाम है। आज की अल्ट्रामार्डन लडकीयां भी किसी से प्यार और दोस्ती उसकी हैसियत देखकर करती है। आखिर फ्रैन्डशिप डे, किट्टी पार्टी, वेलेंटाइन डे की भी तो लाज रखनी है यानी सादगी और आत्मीयता की जगह पैसा और चंचल मन की घुर्तता ने ले ली है। मै ना ही प्रेमी, ना ही प्रेमिका, ना ही प्रेम का विरोधी हूं। पर आज बैठे-बैठे मन ने खुद से सवाल पूछा जिसमे मैने खुद को उलझा हुआ पाया। आप क्या कहते है ??????????????????.............................

Tuesday, January 1, 2008

।। पाकिस्तान किसे आवाज दूं।।

शायद पाकिस्तान की इस हालत का अंदाजा जोश मलीहाबादी जो भारत की आजादी के 12 सालो बाद ही पता चल गया था। शांति निकेतन में पढे और शायर-ए- इन्कलाब के खिताब से नवाजे और जनता के लोकप्रिय इस शायर को पंडित नेहरू ने पद्म भूषण की उपाधि से भी नवाजा गया। मगर वो पाकिस्तान जाने की ललक को नही रोक पाये। पाकिस्तान जाकर उन्होने नज्म लिखी, उसे पढ कर अंदाजा लगाया जा सकता है। हिन्दुस्तान का हाथ कांट कर बने, इस मुल्क की हालत क्या थी और इसके रहनुमाओ का जनता के प्रति नजरिया क्था ?

किसको आती है मसीहा- ई क्से आवाज दूं,
बोल ऐ खूंखार तनहाई किसे आवाज दूं।।
चिप रहुं तो हर दामस्ता है नागन की तरह,
आह भरने मे है रूसवाई किसे आवाज दूं।।
उफ्ह खामोशी की ये आहें दिल को भरमाती है,
उफ्ह ये सन्नाटे की शहनाई किसे आवाज दूं।।

पाकिस्तान मे बेनजीर की हत्या के बाद आज वहा फिर किसी की सुनवाई नही रही। जिया-उल–हक ने जुल्फिकार अली भूट्टो का राजनीतिक कत्ल करवा दिया गया। तब फारत के तत्कालीन पीएम मोरारजी देशाई खामोश रहे। खामोशी हमेशा अच्छी नही होती। पाकिस्तान मे आज हालात यही है कि किसे आवाज दे कौन सुनेगा।
अगर आप के दिल मे कुछ है तो कह दिजीये कौन सुनेगा, किसे सुनाये, कैसे सुनाये। पर ये मत कहियेगा की कोई अपनी गलती की सजा भूगत रहा है
क्यो कि गलती हो चुकी है ।

Happy New Year

Hey all
A very happy new year to all of you.
Its 2008. With a new year, here is the blog in a completely new look.
We have tried to make it better by adding some features.
You can now find links to news channels, newspapers on this very page.
A news reel at the bottom will keep updating us about whats happening around.
A poll has also been started which will be looked after frequently.
We will soon be having pictures and videos also.
In all, its now a one stop place where you can find many things.

If u have any suggestions please feel free to say.

So everyone ….
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